सीएसईबी खेल मैदान में बढ़ती असामाजिक गतिविधियाँ—सुरक्षा पर गहरे सवाल, पुलिस और नगर निगम की चुप्पी से जनता में आक्रोश
कोरबा। शहर के हृदय क्षेत्र में स्थित सीएसईबी का खेल मैदान, जहाँ दिनभर खिलाड़ियों और नागरिकों की आवाजाही रहती है, अब शाम ढलते ही असामाजिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। नशे का सेवन, हुड़दंग, बदतमीजी और आपत्तिजनक हरकतें लगातार बढ़ रही हैं।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि असामाजिक तत्वों में केवल युवा लड़के ही नहीं बल्कि कई युवा लड़कियाँ भी खुलेआम मैदान में नशे का सेवन कर रही हैं—बिना किसी भय या रोक-टोक के। यह स्थिति सामाजिक और पारिवारिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत गंभीर है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मैदान सीएसईबी चौक स्थित पुलिस चौकी के ठीक पीछे होने के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। नागरिकों का आरोप है कि क्या स्थानीय पुलिस किसी बड़ी घटना या अनहोनी का इंतजार कर रही है?
नगर निगम की उपेक्षा पर भी सवाल
सौंदर्यीकरण और स्ट्रीट लाइट्स लगाने के बड़े-बड़े दावे करने वाला नगर निगम इस महत्वपूर्ण मैदान को पूरी तरह नजरअंदाज कर चुका है। शाम होते ही मैदान में घना अंधेरा हो जाता है, जिससे असामाजिक तत्वों को खुली छूट मिलती है। जनता का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा भी नगर निगम की प्रमुख जिम्मेदारी है।
अनहोनी का खतरा—जिम्मेदार कौन?
लोग चिंतित हैं:
“अगर किसी लड़की या लड़के के साथ कोई अनहोनी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? पुलिस, नगर निगम या फिर चुप रहने वाले जनप्रतिनिधि?”
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर जनता में नाराजगी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि नेताओं और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी बेहद निराशाजनक है। क्या यह मुद्दा अभी तक उनके संज्ञान में नहीं आया है? यदि नहीं आया होगा तो अब आएगा, क्योंकि जनता हर प्लेटफॉर्म पर इस गंभीर समस्या को उठा रही है।
शिकायतों पर भी नहीं होती सुनवाई
निवासियों के अनुसार इस मामले में कई बार स्थानीय पुलिस को शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई या ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे लोगों में रोष लगातार बढ़ता जा रहा है।
जनता की मांग
मैदान में तत्काल प्रकाश व्यवस्था सुधारी जाए,
पुलिस द्वारा नियमित गश्त की व्यवस्था हो,
नगर निगम व सीएसईबी द्वारा सुरक्षा और निगरानी बढ़ाई जाए,
जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर स्पष्ट और सक्रिय हस्तक्षेप करें।
जब तक जिम्मेदार विभाग सक्रिय नहीं होते, यह महत्वपूर्ण सार्वजनिक मैदान असुरक्षा और अव्यवस्था का केंद्र बना रहेगा।









