कोरबा में नेत्रदान की शुरुआत: अब मृत्यु के बाद भी किसी को रोशनी देने का मिलेगा अवसर

कोरबा। “नेत्रदान महादान” अब सिर्फ नारा नहीं, बल्कि कोरबा की धरती पर एक साकार पहल बन चुकी है। भारत विकास परिषद के सतत प्रयासों और स्थानीय प्रशासन व मेडिकल कॉलेज की सक्रिय भूमिका से कोरबा में नेत्रदान की व्यवस्था अब पूरी तरह तैयार है।

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इस व्यवस्था के तहत अब कोरबा में भी इच्छुक लोग मरणोपरांत नेत्रदान कर सकते हैं, जिससे उनकी आंखों से निकाले गए कॉर्निया को किसी दृष्टिहीन व्यक्ति की आंखों में प्रत्यारोपित किया जा सकेगा। यह प्रयास उन असंख्य लोगों के लिए आशा की किरण बनकर आया है, जो इस सुंदर संसार को देखने की ख्वाहिश लिए जी रहे हैं।

भारत विकास परिषद ने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान भी प्रारंभ किया है, ताकि अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं। डॉक्टरों की टीम ने भी तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली हैं और आपात स्थिति में कॉर्निया सुरक्षित रखने और ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।

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