कोरबा: मां सर्वमङ्गला मंदिर में ट्रस्ट गठन की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी, वर्षों से अटकी है प्रक्रिया
कोरबा। जिले ही नहीं, छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश तक के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र मां सर्वमङ्गला मंदिर एक बार फिर ट्रस्ट गठन को लेकर सुर्खियों में है। जहां अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में ट्रस्ट की व्यवस्था की जा चुकी है या प्रक्रिया प्रगति पर है, वहीं मां सर्वमङ्गला मंदिर अब भी व्यवस्थित ट्रस्ट के अभाव में अपने संभावित विकास से वंचित है।
2009 में हुआ था ट्रस्ट गठन का प्रयास
वर्ष 2009 में इस मंदिर के लिए “मां सर्वमङ्गला देवी चैरिटेबल ट्रस्ट” का प्रस्ताव राजपत्र में प्रकाशित हुआ था और बैठकें भी की गईं। नायब तहसीलदार जे.एल. यादव की मौजूदगी में संपत्तियों का मूल्यांकन भी लगभग 50 लाख रुपये (चल-अचल) तक किया गया था। लेकिन उसके बाद यह पूरी प्रक्रिया धीरे-धीरे ठंडी पड़ती चली गई।
अन्य मंदिरों में ट्रस्ट की पहल
कोरबा-चाम्पा मार्ग स्थित मां मड़वारानी मंदिर में ग्रामसभा से प्रस्ताव पारित कर ट्रस्ट गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वहीं, चैतुरगढ़ की मां महिषासुर मर्दिनी देवी के मंदिर में ट्रस्ट बन चुका है। इन उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि प्रशासन और समाज की सहभागिता से ट्रस्ट गठन संभव और जरूरी है।
मंदिर में पारदर्शिता का अभाव
मंदिर की मौजूदा व्यवस्था निजी स्तर पर चलाई जा रही है, लेकिन पारदर्शिता का अभाव और धार्मिक चढ़ावे के हिसाब-किताब की कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं होने के कारण जनमानस में असंतोष बना हुआ है।