आधार से जुड़ी KYC की दिक्कतें: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद रोजमर्रा के लेनदेन में आम लोगों को परेशानी: प्रीति अग्रवाल

देश में डिजिटल पहचान की रीढ़ बन चुका आधार आज आम आदमी के लिए रोजमर्रा के बैंकिंग, मोबाइल, राशन और अन्य लेनदेन का अहम हिस्सा है। लेकिन आधार से जुड़े KYC (नो योर कस्टमर) नियमों और प्रमाणीकरण की कई खामियों ने आम लोगों को अक्सर परेशान किया है। कहीं डिजिटली आधार लिंक न होने पर खाता बंद हो जाता है तो कहीं तकनीकी गड़बड़ियों या डेटा मिसमैच से ट्रांजेक्शन अटक जाते हैं।

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने, KYC प्रक्रिया में आधार को शामिल करने के निर्देश दिए थे ताकि इन समस्याओं को कुछ हद तक आसान किया जा सके। इसके बावजूद, हाल की RTI रिपोर्टों से खुलासा हुआ है कि आधार डेटा की कई कमियां बनी हुई हैं—जैसे मृत्यु के बाद भी करोड़ों आधार नंबर सक्रिय रहना, या डेटा अपडेट की कम रफ्तार। वहीं, UIDAI ने डिजिटल e-Aadhaar और QR कोड आधारित ऑफलाइन KYC जैसी नई सुविधाएं लागू की हैं, जिससे कई जानकारियां घर बैठे अपडेट हो सकेंगी और चोरी/धोखाधड़ी पर लगाम लगे।

UIDAI नए बायोमेट्रिक अपडेट व सख्त वेरिफिकेशन के जरिए भविष्य के लिए आधार प्रणालियों को पारदर्शी और आम उपयोगकर्ताओं के लिए आसान बनाने की दिशा में काम कर रहा है। फिर भी, बैंकिंग और अन्य व्यापारिक एजेंसियों को सलाह दी गई है कि वे अन्य प्रमाणन विकल्प—जैसे फेस अथवा आईरिस वेरिफिकेशन—का सहारा लें, ताकि डिजिटल सहयोग के बाहर भी ग्राहकों को राहत मिल सके।

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट की पहल के बावजूद, आधार-आधारित KYC में फंसे आम लोगों को जल्द और सरल समाधान की उम्मीद बाकी है। UIDAI के नए डिजिटल अपडेट और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी से आने वाले महीनों में इस समस्या के हल की संभावना बढ़ी है।

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