म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए SEBI ने बदला ये नियम, नॉमिनेशन प्रोसेस हुआ आसान, जानें गाइडलाइन: प्रीति अग्रवाल

Mutual Fund निवेशकों के लिए नॉमिनेशन नियमों में बड़ा बदलाव हुआ है. 1 जून से नॉमिनेशन फॉर्म का नया फॉर्मेट जारी हो चुका है. यहां जानें सेबी के म्यूचुअल फंड नॉमिनेशन प्रक्रिया के नियम, कितने नॉमिनी हो सकते हैं और पुराने निवेशकों को क्या करना है?
म्यूचुअल फंड के निवेशकों को नॉमिनेशन प्रोसेस से जुड़े बदलावों को समझ लेना चाहिए क्योंकि मार्केट रेगुलेटर SEBI ने नॉमिनेशन से जुड़ी प्रक्रिया को न सिर्फ आसान बनाया है बल्कि कुछ नए नियम भी जोड़ दिए गए हैं जो आने वाले समय में लागू हो जाएंगे. जो कुछ जरूरी बदलाव देखने को मिलेंगे चलिए वो आपको समझा देते हैं.
1 जून से नॉमिनेशन के लिए नया फॉर्मेट इस्तेमाल करना होगा जो सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों, उनके रजिस्ट्रार और AMFI की वेबसाइट्स पर उपलब्ध है.
इस फॉर्म में निवेशक को नॉमिनी का पूरा नाम, रिलेशन, हिस्सा (प्रतिशत में), पता, ईमेल आईडी, और मोबाइल नंबर देना होगा. इसके अलावा, नॉमिनी की पहचान के लिए इनमें से कोई एक डिटेल देना जरूरी है- पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार के आखिरी चार अंक या पासपोर्ट नंबर.
अगर जानकारी अधूरी होगी तो फॉर्म “नॉट इन गुड ऑर्डर” (NIGO) मानकर रिजेक्ट किया जा सकता है.
इसके अलावा, निवेशक चाहें तो अपने नॉमिनी को ये भी अधिकार दे सकते हैं कि वह उनकी ओर से खाते को ऑपरेट करे और एक लिमिट तक इवेंस्टमेंट रिडीम भी किया जा सकता है. ऐसा तभी हो सकता है जब निवेशक खुद ये काम करने में असमर्थ हो जाए.
अगर कोई निवेशक नॉमिनेशन नहीं करना चाहता तो वह पहले की तरह एक निर्धारित फॉर्म भरकर ‘ऑप्ट आउट’ कर सकता है. इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
अगर आपके म्यूचुअल फंड फोलियो में पहले से नॉमिनेशन दर्ज है, तो फिलहाल आपको कुछ भी बदलने की जरूरत नहीं है.
अभी 31 अगस्त 2025 तक आप अधिकतम 3 लोगों को नॉमिनी बना सकते हैं. लेकिन 1 सितंबर 2025 से यह सीमा बढ़ाकर 10 नॉमिनी कर दी जाएगी.
नॉमिनेशन की प्रक्रिया बेहद आसान है. आप RTA या फंड हाउस की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं. अगर ऑनलाइन करना संभव नहीं है, तो संबंधित फॉर्म प्रिंट कर, हस्ताक्षर कर फंड हाउस को भेजा जा सकता है.
अगर सेकंड होल्डर का मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी अपडेट नहीं है, तो ऑनलाइन प्रोसेस काम नहीं करेगा और ऐसे में ऑफलाइन तरीका अपनाना होगा.
अगर आप किसी को नॉमिनेट करते हैं तो आपकी मृत्यु के बाद उस निवेश पर नॉमिनी का हक हो जाएगा. नॉमिनेशन से निवेशक की मृत्यु के बाद यूनिट्स की ट्रांसफर प्रक्रिया काफी आसान हो जाती है. इसके बिना कानूनी उत्तराधिकारियों को वसीयत, लीगल सर्टिफिकेट, अन्य वारिसों की नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जैसी कई औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं