कोरबा में एल्युमिनियम पार्क की जगह बन रहा ‘राखड़ पार्क’? बिजली कंपनी के अधिकारियों पर घोटाले के आरोप

कोरबा। प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कोरबा में बहुप्रतीक्षित एल्युमिनियम पार्क स्थापित करने की घोषणा के बाद जिले में विकास की नई उम्मीद जगी थी, लेकिन अब सरकारी मशीनरी के अंदर चल रहे कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं ने इस योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि मुख्यमंत्री के ही अधीन छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) के अधिकारी इस महत्वाकांक्षी परियोजना को “विनाश गाथा” में बदलने का काम कर रहे हैं। इस संबंध में सांसद प्रतिनिधि सुनील जैन ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि अधिकारी और ठेकेदार मिलीभगत से सरकार की विकास योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं।

लाखों टन राखड़ का अवैध डंपिंग

सूत्रों के मुताबिक, वर्षों से बंद पड़े के.टी.पी.एस (Korba Thermal Power Station) की करीब 105 हेक्टेयर भूमि को एल्युमिनियम पार्क हेतु उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाना है, लेकिन उसी भूमि पर विद्युत कंपनी के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से लाखों टन राखड़ नियम विरुद्ध तरीके से डंप की जा रही है।

जानकारी के अनुसार, कंपनी द्वारा राख निपटान के लिए निविदा निकाली गई थी जिसमें शर्त थी कि राख को गोढ़ी स्थित राखड़ बांध से लोड कर 50 किलोमीटर के दायरे में निचले इलाकों में पटवाया जाएगा। लेकिन अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलीभगत कर राख को डी.एस.पी.एम. प्लांट के साइलो से लोड कर मात्र 2 किलोमीटर दूर बंद पड़े KTPS परिसर में ही डंप करवाया जा रहा है।

दोहरे घोटाले के आरोप

पहला घोटाला: निविदा शर्तों के विपरीत राख को निचले इलाकों की बजाय नगर के बीच स्थित KTPS प्लांट में डंप किया जा रहा है।
दूसरा घोटाला: गोढ़ी से राख लाने की शर्त के स्थान पर डीएसपीएम से राख लाकर 23 किलोमीटर की फर्जी ट्रांसपोर्टिंग दूरी दिखाकर करोड़ों रुपये का भुगतान करवाया जा रहा है।

पर्यावरण नियमों की भी अनदेखी

राख ट्रांसपोर्ट करने वाले ठेकेदारों के पास पर्यावरण विभाग की एनओसी नहीं है। राख से भरे ट्रक शहर के मुख्य मार्गों और घनी बस्तियों से गुजर रहे हैं, जिससे धूल उड़कर नागरिकों के फेफड़ों और स्कूलों के बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।

क्या भ्रष्टाचार के कारण भूमि हस्तांतरण में हो रही देरी?

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर CSPGCL ने अगस्त 2025 में घोषित एल्युमिनियम पार्क की भूमि का समय पर हस्तांतरण किया होता, तो यह अवैध डंपिंग संभव नहीं होती। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पर्यावरण विभाग और जिला प्रशासन को इस अवैध गतिविधि की जानकारी नहीं है या फिर यह सब मिलीभगत से हो रहा है?

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