डिजिटल धोखाधड़ी पर बढ़ती चिंता: बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत: प्रीति अग्रवाल
डिजिटल लेनदेन में लगातार हो रही बढ़ोतरी के साथ-साथ डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी से इज़ाफा देखने को मिल रहा है। इन धोखाधड़ियों के पीछे अक्सर सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल करके ग्राहकों को निशाना बनाया जाता है। इसके अलावा ‘म्यूल अकाउंट्स’ (नकली या दूसरों के नाम से खोले गए बैंक खाते) का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी को अंजाम देने के मामलों में भी वृद्धि हो रही है।
यह न केवल बैंकों के लिए वित्तीय और संचालन से जुड़ा जोखिम पैदा करता है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा पर भी नकारात्मक असर डालता है। ऐसे में बैंकों को अपने कस्टमर ऑनबोर्डिंग (नई ग्राहक जोड़ने की प्रक्रिया) और ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग सिस्टम को और अधिक सशक्त बनाना होगा, ताकि संदेहास्पद और असामान्य लेन-देन पर नजर रखी जा सके।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इस दिशा में बैंकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि म्यूल अकाउंट्स की पहचान की जा सके और डिजिटल फ्रॉड की घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ने बैंकों से अपील की है कि वे डिजिटल बैंकिंग में ग्राहकों की सुरक्षा और विश्वास बनाए रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाएं, जिसमें ग्राहकों को शिक्षित करना और जागरूकता फैलाना भी शामिल है।
यह प्रयास न केवल ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि समूची बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता और मजबूती को भी बढ़ावा देगा।









