पैसों को खा जाती हैं ये दो गलतियां, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे अपना नुकसान? प्रीति अग्रवाल
हम में से हर कोई वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर होना चाहता है। इसके लिए निवेश सबसे बेहतर रास्ता होता है। लेकिन, कई बार हम जाने-अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि निवेश में फायदा के बजाय नुकसान हो जाता है।
बाजार में आसान फाइनेंसिंग विकल्पों ने EMI को सामान्य बना दिया है। मोबाइल फोन, टीवी, फर्नीचर, यात्रा – हर चीज अब EMI या नो-कॉस्ट EMI पर मिल रही है। यही वजह है कि कई लोग ज्यादा सोच-विचार किए बगैर हर चीज EMI पर खरीद लेते हैं। यह सुविधा जब आदत बन जाती है, तो फिक्स्ड इनकम का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च होने लगता है।
जैसे कि किसी शख्स की आय ₹60,000 महीना है। उसने अलग-अलग चीजों की खरीद पर ₹30,000 की कुल EMI ले रखी है, तो उसकी निवेश या इमरजेंसी सेविंग की क्षमता घटकर आधी रह जाती है। अगर बीच में नौकरी छूटने या परिवार में मेडिकल इमरजेसीं जैसी कोई दिक्कत आई, तो भारी कर्ज के जाल में फंसने का खतरा रहता है। इससे निकलना काफी ज्यादा मुश्किल हो सकता है।
इसलिए EMI तभी लें, जब वह बेहद जरूरी हो और चुकाने लायक हो। फिजूल की चीजों को EMI पर लेने से क्रेडिट स्कोर और मानसिक शांति दोनों पर असर पड़ सकता है।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से लंबे समय में मजबूत संपत्ति बनाई जा सकती है। लेकिन, कई लोग बहाने बनाकर इसे टालते रहते हैं। जैसे कि अभी SIP करने लायक बचत नहीं हो रही है, बाजार गिरा हुआ है या फिर थोड़ा समय रुक कर देख लेते हैं। लेकिन, SIP जल्दी शुरू न करने में काफी नुकसान है क्योंकि इस फायदा कंपाउंडिंग के साथ मिलता है।
अब जैसे कि कोई शख्स 25 साल की उम्र में ₹5,000 प्रति महीना SIP शुरू करता है। अगर औसतन 12% वार्षिक रिटर्न मानें, तो 60 की उम्र तक वह लगभग ₹2.75 करोड़ क बना सकता है। वहीं, अगर यही SIP 35 की उम्र में शुरू का जाए, तो कुल कॉर्पस घटकर लगभग ₹88 लाख ही रह जाएगा।
इसका सीधा मतलब है कि वक्त का असर निवेश पर बहुत गहरा होता है। SIP जितनी जल्दी शुरू की जाए, उतना बेहतर। देर से शुरुआत का मतलब है बड़ा मौका चूक जाना